“शरद पूर्णिमा 2025 पर जानें पूजन की सही तिथि, चंद्र पूजा, खीर, मां लक्ष्मी मंत्र, व्रत, स्नान-दान का महत्त्व और सम्पूर्ण विधि। जानिए कब और कैसे मां लक्ष्मी को प्रसन्न करें और अमृतमयी खीर का लाभ पाएं।”

शरद पूर्णिमा 2025 का महत्व
शरद पूर्णिमा हिंदू धर्म में वर्ष की सबसे पावन पूर्णिमा मानी जाती है। इस दिन का विशेष महत्व है क्योंकि मान्यता है कि इसी रात को चंद्रमा अपनी सोलह कलाओं से पूरा पूर्ण बनता है और उसकी किरणों में अमृत वर्षा होती है। यह दिन आध्यात्मिक और धार्मिक दृष्टि से इतना पवित्र माना जाता है कि भक्तजन मां लक्ष्मी, भगवान चंद्रदेव और विष्णु जी की विशेष पूजा करते हैं। साथ ही, खीर बनाकर रात भर चाँदनी में रखी जाती है और सुबह प्रसाद के रूप में ग्रहण की जाती है।
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शरद पूर्णिमा 2025: तिथि और मुहूर्त
उदय तिथि के अनुसार शरद पूर्णिमा व्रत, स्नान और दान 7 अक्टूबर 2025 (मंगलवार) को किया जाएगा। वहीं चंद्र पूजा, मां लक्ष्मी की विशेष आराधना और खीर का आयोजन 6 अक्टूबर 2025 (सोमवार) की रात रखा जाएगा।
- पूर्णिमा तिथि आरंभ: 6 अक्टूबर 2025, शाम 08:17 बजे
- पूर्णिमा तिथि समाप्त: 7 अक्टूबर 2025, शाम 10:36 बजे
शुभ मुहूर्त
- चंद्रदर्शन और खीर पूजन मुहूर्त: 6 अक्टूबर रात 09:00 बजे से 12:15 बजे (मध्य रात्रि तक)
- व्रत उद्यापन, स्नान व दान: 7 अक्टूबर प्रातः सूर्योदय के बाद

पूजा विधि
शरद पूर्णिमा की पूजा बहुत ही आसान और पवित्र मानी जाती है। इस दिन प्रात: स्नान कर व्रत का संकल्प लें। शाम के समय भगवान श्रीहरि विष्णु, मां लक्ष्मी और चंद्र देव का पूजन करें। घर को साफ-सुथरा रखें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- दीपक जलाएं, धूप-दीप व पुष्प चढ़ाएँ
- गाय के दूध, चावल और चीनी से बनी खीर बनाएं
- रात को चंद्रमा के निकलने पर खीर को चाँदनी में रखें
- ओम श्रीं श्रीये नमः का 108 बार जप करें
- सुबह उस खीर को घर-परिवार, मित्रों में प्रसाद रूप में बांटें

मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने का मंत्र
मान्यता है कि शरद पूर्णिमा की रात यदि आप मां लक्ष्मी की पूजा कर ये विशेष मंत्रों का जाप करते हैं, तो देवी लक्ष्मी विशेष कृपा करती हैं। रात में कमल के फूल के साथ, गंध, चावल, दीप व मिठाई चढ़ाकर नीचे दिए मंत्र का जप करें––
ॐ महालक्ष्म्यै च विद्महे विष्णुपत्नीश च धीमहि तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात्॥
इसके अतिरिक्त:
- ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नमः (108 बार)
- ॐ चंद्राय नमः (27 बार)
का जाप करने से मां लक्ष्मी और चंद्र देव दोनों की कृपा प्राप्त होती है।
व्रत और स्नान-दान का महत्त्व
शरद पूर्णिमा व्रत रखने से व्यक्ति के जीवन में स्वास्थ्य, धन, सुख-समृद्धि और मानसिक शांति आती है। अगले दिन पूर्णिमा के स्नान और दान का विशेष महत्व है। मान्यता है कि इस दिन स्नान करके गरीब, ब्राह्मण, गौशाला या मंदिर में अन्न, वस्त्र, दान-पुण्य करना चाहिए। इससे पुण्य फल मिलता है और आने वाले वर्ष में परिवार में सुख-शांति बनी रहती है।
खीर का विशेष स्थान
शरद पूर्णिमा की रात बनी खीर बहुत ही पूज्यनीय मानी जाती है। खीर के पात्र को छत पर या आंगन में चंद्रमा की रोशनी में पूरी रात रखें––ऐसा माना जाता है कि उस खीर में अमृत तत्व समाहित हो जाते हैं। सुबह उसे प्रसाद के तौर पर ग्रहण करने से तन-मन दोनों स्वस्थ रहते हैं। इससे घर-परिवार में दरिद्रता, कष्ट और रोग समाप्त होते हैं।
वैज्ञानिक दृष्टिकोण
इस रात को चंद्रमा पृथ्वी के सबसे निकट होता है और इसकी kirne (rays) स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होती हैं। लोग खीर, पानी व औषधीय पदार्थों को चाँदनी में रखने की परंपरा का पालन करते हैं ताकि उनमें सकारात्मक ऊर्जा और अमृततत्व मिले।
समाज में शरद पूर्णिमा का पर्व
देशभर में शरद पूर्णिमा को ‘कोजागरी पूर्णिमा’, ‘रास पूर्णिमा’ और ‘कुमार पूर्णिमा’ भी कहा जाता है। इस दिन रासलीला, भजन-कीर्तन, सामूहिक पूजन आदि का भी आयोजन किया जाता है। भारत ही नहीं, नेपाल, बांग्लादेश और अन्य देशों में भी इस पर्व की धूम रहती है।