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सुपरमून अलर्ट: 6:20 बजे उगेगा हार्वेस्ट मून, नज़दीक होने से ज्यादा उजला दिखेगा

सुपरमून अलर्ट: 6:20 बजे उगेगा हार्वेस्ट मून, नज़दीक होने से ज्यादा उजला दिखेगा

सुपरमून अलर्ट: 6:20 बजे उगेगा हार्वेस्ट मून, “आज रात का हार्वेस्ट मून साल के तीन लगातार सुपरमून की शुरुआत करेगा। 6:20 बजे उदय, आकार में करीब 14% बड़ा और 30% ज्यादा चमकीला दिख सकता है। जानें—क्यों होता है सुपरमून, क्या है मून इल्यूजन, और समुद्री ज्वार पर इसका असर।”

सुपरमून अलर्ट: 6:20 बजे उगेगा हार्वेस्ट मून, नज़दीक होने से ज्यादा उजला दिखेगा

हार्वेस्ट मून क्या है, और यह कब दिखाई देगा

अक्टूबर का पूर्ण चंद्रमा पारंपरिक रूप से हार्वेस्ट मून कहलाता है, क्योंकि यह शरद ऋतु की शुरुआत (फॉल की first day) के सबसे निकट आने वाला पूर्णिमा का चंद्रमा होता है। आज रात दिखाई देने वाला यह हार्वेस्ट मून इस वर्ष के तीन लगातार सुपरमून्स में पहला माना जा रहा है। स्थानीय समयानुसार शाम 6:20 बजे इसके उदय का अनुमान है, इसलिए सूर्यास्त के आसपास पूर्वी क्षितिज की ओर खुला आकाश देखने पर इसका सुंदर नज़ारा मिल सकता है।

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“सुपरमून” क्यों कहा जाता है

चंद्रमा पृथ्वी की परिक्रमा एक दीर्घवृत्त कक्षा में करता है, जिसके कारण हर माह पृथ्वी से उसकी दूरी बदलती रहती है। जब पूर्णिमा उस स्थिति के पास होती है जहाँ चंद्रमा पृथ्वी के सबसे नज़दीक (पेरिजी) होता है, तब उसे सुपरमून कहा जाता है। इस वजह से चंद्रमा सामान्य पूर्णिमा की तुलना में थोड़ा बड़ा और ज्यादा चमकीला दिखाई देता है। वैज्ञानिक आकलन के अनुसार, एपो‍जी (सबसे दूर) पर होने वाली पूर्णिमा यानी “माइक्रोमून” की तुलना में सुपरमून अधिकतम लगभग 14% बड़ा और लगभग 30% तक अधिक चमकीला दिख सकता है।

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एक वैज्ञानिक शब्द नहीं, पर लोकप्रिय

“सुपरमून” शब्द खगोल विज्ञान का आधिकारिक शब्द नहीं है। इसे 1979 में रिचर्ड नोल ने प्रचलित किया और बीते दशकों में यह मीडिया और जनचर्चा में व्यापक रूप से लोकप्रिय हो गया। अलग-अलग संस्थान या विशेषज्ञ इसे परिभाषित करने के लिए दूरी या आकार के भिन्न-भिन्न थ्रेशोल्ड अपनाते हैं, इसीलिए किसी वर्ष में सुपरमून की कुल संख्या परिभाषा के अनुसार 3 से 4 तक बदलती रहती है।

मून इल्यूजन: क्षितिज पर बड़ा क्यों लगता है चंद्रमा

अक्सर लोग देखते हैं कि चंद्रमा क्षितिज के पास बहुत बड़ा दिखाई देता है, जबकि ऊपर आकाश में आने पर छोटा लगता है। इसे “मून इल्यूजन” कहा जाता है—यह केवल दृश्य-धोखा है। क्षितिज पर पेड़, इमारतें और भू-दृश्य जैसे संदर्भ-आकार (reference cues) होने से मस्तिष्क चंद्रमा को बड़ा महसूस कराता है। वास्तविक दूरी में कोई नाटकीय अंतर उस क्षण नहीं होता; इसलिए आकार में बदलाव आँख और दिमाग की धारणा का परिणाम है।

ज्वार-भाटे पर प्रभाव: परिजियन स्प्रिंग टाइड

जब चंद्रमा पेरिजी (नज़दीक) के पास होता है और साथ ही पूर्णिमा या अमावस्या के चरण में होता है, तो समुद्र में सामान्य से थोड़ा ऊँचा ज्वार देखा जा सकता है, जिसे “परिजियन स्प्रिंग टाइड” कहते हैं। फिर भी तटीय जलस्तर पर वास्तविक असर स्थानीय मौसम, हवा की दिशा-गति, वायुदाब और समुद्री तट की भौगोलिक बनावट पर अधिक निर्भर करता है। यानी हर जगह सुपरमून के कारण असामान्य बाढ़ नहीं आती, बल्कि परिस्थितियाँ मिलकर असर तय करती हैं।

आज रात देखने का श्रेष्ठ तरीका

  • खुला क्षितिज चुनें: पूर्व या पूर्व-उत्तर दिशा में बिना रुकावट वाला दृश्य बेहतर रहेगा।
  • समय का ध्यान रखें: स्थानीय समयानुसार लगभग 6:20 बजे के आसपास उदय, पर पूर्ण चमक का आनंद सूर्यास्त के बाद के घंटे में भी लिया जा सकता है।
  • शहर की रोशनी से दूर: अगर संभव हो तो कम प्रकाश-प्रदूषण वाले स्थान पर जाएँ, जहाँ आकाश साफ हो।
  • कैमरा टिप्स: स्मार्टफोन में नाइट मोड और ट्राइपॉड का उपयोग करें। अत्यधिक ज़ूम से बचें, और मैनुअल एक्सपोज़र कम रखें ताकि डिस्क की डिटेल न जले।

यह भी जानें: पेरिजी और एपोजी क्या हैं

  • पेरिजी (Perigee): चंद्रमा का पृथ्वी से सबसे नज़दीकी बिंदु। सुपरमून इसी के आसपास की पूर्णिमा में दिखता है।
  • एपोजी (Apogee): चंद्रमा का पृथ्वी से सबसे दूर बिंदु। इस स्थिति के आस-पास की पूर्णिमा को माइक्रोमून कहा जाता है।
    कक्षा दीर्घवृत्त है, इसलिए प्रति चंद्र माह दूरी बदलती रहती है और रोशनी/आकार में सूक्ष्म अंतर आता है।

क्या हर सुपरमून नंगी आँख से “बहुत बड़ा” लगता है

मानव आँख के लिए 14% आकार-भेद भी कभी-कभी कम महसूस हो सकता है, ख़ासकर जब तुलना के लिए साथ-साथ “सामान्य” पूर्णिमा पेश न हो। लेकिन फ़ोटोग्राफी और माप में यह अंतर दर्ज किया जा सकता है। क्षितिज के पास मून इल्यूजन इस अंतर को नंगी आँख में “ड्रामेटिक” बना देता है।

सांस्कृतिक और पारंपरिक संदर्भ: हार्वेस्ट मून

अक्टूबर का पूर्ण चंद्रमा खेती-किसानी से जुड़े मौसम परिवर्तन का सूचक माना गया है। फसल कटाई के समय किसानों को अतिरिक्त रोशनी मिलती थी, इसलिए इसका नाम “हार्वेस्ट मून” पड़ा। आधुनिक समय में भी यह नाम परंपरा और खगोल-लोकप्रिय संस्कृति का हिस्सा है, और पर्यवेक्षक इसके उदय को एक विशेष क्षण की तरह देखते हैं।

सुरक्षा और मिथक

सुपरमून को लेकर कई तरह की मान्यताएँ और इंटरनेट मिथक फैलते हैं—जैसे बड़े पैमाने पर प्राकृतिक आपदाएँ, मनोदशा में भारी बदलाव, या इलेक्ट्रॉनिक्स पर असर। वैज्ञानिक दृष्टि से सुपरमून का प्रमुख भौतिक असर ज्वार पर थोड़ा-सा अतिरिक्त उछाल तक सीमित रहता है; बाकी प्रभावों के लिए ठोस प्रमाण नहीं मिलते। स्थानीय मौसम प्रणालियाँ, भौगोलिक परिस्थितियाँ और मानव कारक कहीं अधिक निर्णायक होते हैं।

त्वरित सार: आज क्या करें

  • 6:20 बजे के आसपास पूर्वी क्षितिज देखें—हार्वेस्ट मून उदय का नज़ारा लें।
  • फोटोग्राफी के लिए वाइड-एंगल और foreground (इमारत/पेड़) संग फ्रेम करें—रचनात्मक तस्वीरें मिलेंगी।
  • परिवार और बच्चों को “मून इल्यूजन” समझाएँ—क्षितिज पर बड़ा क्यों लगता है।
  • समुद्री तट पर हैं तो स्थानीय ज्वार-भाटे की सलाह देखें—मौसम और चेतावनियों का पालन करें।

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