आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के तेज़ी से बढ़ते कदम अब आपके ईमेल इनबॉक्स को भी स्मार्ट बनाने वाले हैं। Google DeepMind के CEO डेमिस हसबिस ने खुलासा किया है कि उनकी टीम एक ऐसे एडवांस AI ईमेल सिस्टम पर काम कर रही है जो उपयोगकर्ता की लेखन शैली में खुद ईमेल का उत्तर देने में सक्षम होगा।

SXSW फेस्टिवल में अपने मुख्य भाषण के दौरान हसबिस ने कहा कि आने वाला AI टूल केवल ईमेल मैनेज करने तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि यह तय करेगा कि कौन-से संदेश तत्काल उत्तर के योग्य हैं, और किसे नजरअंदाज़ किया जा सकता है। उन्होंने कहा, “मैं चाहता हूं कि ईमेल से पूरी तरह छुटकारा मिल जाए। मैं इसके लिए हजारों डॉलर भी खर्च करने को तैयार हूं।”
AI आपके लहजे में देगा जवाब
हसबिस के मुताबिक, यह नया फीचर न सिर्फ ईमेल्स का ऑटो-मैनेजमेंट करेगा, बल्कि यूज़र की भाषा, टोन और सोच के अनुरूप ईमेल्स का जवाब भी तैयार करेगा। यह एक डिजिटल पर्सनल असिस्टेंट की तरह कार्य करेगा जो यूज़र की प्राथमिकताओं को समझेगा और जरूरी मामलों पर खुद निर्णय लेने की क्षमता रखेगा।
उन्होंने कहा, “मेरा सपना है कि AI एक यूनिवर्सल असिस्टेंट बने — जो न सिर्फ सुझाव दे, बल्कि यूज़र के समय और ऊर्जा की भी रक्षा करे।” हसबिस का मानना है कि यह तकनीक हमारे डिजिटल जीवन को अधिक संतुलित बना सकती है, खासकर तब जब टेक्नोलॉजी के ज़रिये ध्यान भटकाने वाले एल्गोरिद्म का चलन बढ़ गया है।
AGI को लेकर वैश्विक सहयोग की अपील
डेमिस हसबिस ने अपने भाषण में आर्टिफिशियल जनरल इंटेलिजेंस (AGI) पर भी ज़ोर दिया — यानी ऐसी AI जो मनुष्यों की तरह कई क्षेत्रों में सोचने, समझने और निर्णय लेने की क्षमता रखे। उनका मानना है कि अगले 5 से 10 वर्षों में AGI की वास्तविकता हमारे सामने होगी, और इसका प्रभाव औद्योगिक क्रांति जैसा हो सकता है।
AGI के संभावित खतरों और अवसरों को लेकर उन्होंने अमेरिका और चीन से वैश्विक सुरक्षा मानकों और साझा नीति विकसित करने की अपील की। हसबिस ने कहा, “AGI का असर पूरी मानवता पर पड़ेगा, इसलिए जरूरी है कि हम वैज्ञानिक और सुरक्षा के स्तर पर मिलकर काम करें।”
AI से समृद्धि, लेकिन सबके लिए?
AGI से उत्पन्न होने वाली आर्थिक समृद्धि को लेकर भी हसबिस ने एक बड़ा सवाल उठाया। उन्होंने अर्थशास्त्रियों और सामाजिक वैज्ञानिकों से आग्रह किया कि वे इस पर विचार करें कि जब AI से संसाधनों की भरमार हो जाए, तो क्या वह लाभ सभी तक समान रूप से पहुंचेगा।
“अगर हम ऐसी स्थिति में पहुंचते हैं जहां संसाधनों की कोई कमी नहीं, तो क्या हम यह सुनिश्चित कर पाएंगे कि वह समान रूप से वितरित हो?” — हसबिस का यह सवाल भविष्य की सामाजिक नीति की दिशा तय करने में अहम हो सकता है।