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Delhi Murder Case: 24 घंटे में सुलझी हत्या की खौफनाक गुत्थी, 2 दरिंदे गिरफ्तार

Delhi Murder Case: 24 घंटे में सुलझी हत्या की खौफनाक गुत्थी, 2 दरिंदे गिरफ्तार

Delhi Murder Case: दिल्ली के समयपुर बादली में हुई मनीष की नृशंस हत्या का मामला 24 घंटे में सुलझ गया है। पुलिस ने इस ब्लाइंड मर्डर केस में दो शातिर आरोपियों, मनीष उर्फ बाबू और सुमित, को गिरफ्तार कर लिया है। पूछताछ में पता चला है कि यह हत्या मामूली विवाद के बाद की गई थी, जिसमें आरोपियों ने पीड़ित को पत्थर से कुचल-कुचल कर मौत के घाट उतार दिया था।

Delhi Murder Case: 24 घंटे में सुलझी हत्या की खौफनाक गुत्थी, 2 दरिंदे गिरफ्तार

सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि गिरफ्तार आरोपी मनीष उर्फ बाबू पहले भी हत्या के एक अन्य मामले में शामिल रह चुका है, जिससे उसकी आपराधिक मानसिकता का पता चलता है। चश्मदीद गवाह और मृतक के दोस्त संतोष श्रीवास्तव के बयान के आधार पर पुलिस ने यह त्वरित कार्रवाई की। पुलिस ने आरोपियों की निशानदेही पर हत्या में इस्तेमाल किया गया पत्थर और वारदात से जुड़ी गाड़ियां भी बरामद कर ली हैं। यह घटना दिल्ली में बढ़ते युवा अपराध और मामूली विवादों के हिंसक परिणामों पर गंभीर सवाल खड़े करती है।

24 घंटे में सुलझी हत्या की गुत्थी

दिल्ली के आउटर-नॉर्थ जिले की समयपुर बादली थाना पुलिस ने अपनी त्वरित कार्रवाई और बेहतरीन जांच क्षमता का प्रदर्शन करते हुए एक क्रूर और नृशंस हत्या के मामले को महज 24 घंटों के भीतर सुलझा लिया है। पुलिस ने दो शातिर हत्यारों को गिरफ्तार किया है, जिन्होंने मामूली कहासुनी के बाद अपने एक परिचित की पत्थर से कुचल-कुचलकर निर्मम हत्या कर दी थी। इस मामले की सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि गिरफ्तार किए गए आरोपियों में से एक पहले भी हत्या के एक मामले में शामिल रह चुका है। यह गिरफ्तारी दिल्ली पुलिस के “ऑपरेशन अंकुश” की एक बड़ी सफलता मानी जा रही है, जिसका उद्देश्य स्ट्रीट क्राइम और हिंसक अपराधों पर लगाम लगाना है।​

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क्या थी वो खौफनाक रात? घटना का पूरा विवरण

यह दिल दहला देने वाली घटना 2 नवंबर, 2025 की रात लगभग 10 बजे की है। समयपुर बादली के रहने वाले 40 वर्षीय संतोष कुमार श्रीवास्तव ने पुलिस को दी अपनी शिकायत में बताया कि मृतक मनीष को कुछ लोग धमका रहे थे। इसी मामले पर बात करने के लिए संतोष, मनीष के साथ गया था। जब वे अंडरपास के पास पहुंचे, तो उनकी आशीष नामक एक व्यक्ति से कहासुनी हुई। इसके ठीक बाद, वहां एक स्कूटर पर सवार तीन लड़के और आ गए। उन्होंने आते ही मनीष के साथ गाली-गलौज शुरू कर दी। इससे पहले कि कोई कुछ समझ पाता, मामूली विवाद एक खूनी संघर्ष में बदल गया, जिसका अंत मनीष की दर्दनाक मौत के साथ हुआ।​

दोस्ती निभाने की मिली खौफनाक सजा

आरोपियों ने संतोष और मनीष पर बेरहमी से हमला कर दिया। उन्होंने पास पड़े भारी पत्थरों को उठाया और दोनों को मारना शुरू कर दिया। हमलावरों ने मुख्य रूप से मनीष के सिर को निशाना बनाया। एक भारी पत्थर लगने से मनीष के सिर पर गंभीर चोट आई और वह बेहोश होकर सड़क पर गिर पड़ा। इस हमले में संतोष भी घायल हो गया था। जब संतोष को होश आया, तो उसने देखा कि मनीष सड़क पर खून से लथपथ और बेसुध पड़ा है। उसने तुरंत मदद के लिए गुहार लगाई, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। मनीष को अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। एक दोस्त का साथ देना मनीष की मौत का कारण बन गया।​

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पुलिस का ‘ऑपरेशन 24 घंटे’: कैसे शिकंजे में आए हत्यारे?

सूचना मिलते ही समयपुर बादली थाना पुलिस हरकत में आ गई। हत्या की गंभीरता को देखते हुए, डीसीपी (आउटर-नॉर्थ) हरेश्वर स्वामी के निर्देश पर और एसीपी के पर्यवेक्षण में SHO/समयपुर बादली के नेतृत्व में एक विशेष टीम का गठन किया गया। टीम ने सबसे पहले चश्मदीद गवाह संतोष श्रीवास्तव से घटना की पूरी जानकारी ली और आरोपियों का हुलिया पता किया। इसके बाद, पुलिस ने अपने खुफिया तंत्र को सक्रिय किया और इलाके के CCTV फुटेज खंगालने शुरू किए। तकनीकी निगरानी और मुखबिरों से मिली पुख्ता जानकारी के आधार पर, पुलिस ने महज 24 घंटों के भीतर दोनों मुख्य आरोपियों की पहचान कर उन्हें उनके ठिकानों से दबोच लिया।​

कौन हैं ये गिरफ्तार हत्यारे? एक पहले भी कर चुका है मर्डर

पुलिस की गिरफ्त में आए दोनों हत्यारे बेहद शातिर और खतरनाक अपराधी हैं। उनकी पहचान इस प्रकार हुई है:

  • मनीष उर्फ बाबू (22 वर्ष): यह MCD कॉलोनी का रहने वाला है। पुलिस जांच में जो सबसे चौंकाने वाला तथ्य सामने आया, वह यह है कि मनीष उर्फ बाबू एक आदतन अपराधी है। उसके खिलाफ पहले से ही समयपुर बादली थाने में हत्या का एक मामला (FIR No. 122/2024) दर्ज है। इसका मतलब है कि वह पहले भी एक हत्या की वारदात को अंजाम दे चुका है।
  • सुमित (23 वर्ष): यह सूरज पार्क के पास झुग्गी का निवासी है।
    इन दोनों की गिरफ्तारी ने इलाके में सक्रिय आपराधिक गिरोहों के नेटवर्क पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं।​

क्या था हत्या का असली मकसद? पुरानी रंजिश या वर्चस्व की लड़ाई?

पुलिस की शुरुआती जांच के अनुसार, यह हत्या एक मामूली विवाद के कारण हुई जो पुरानी रंजिश में बदल गई। मृतक मनीष का आरोपी आशीष और उसके साथियों से पहले से कोई विवाद चल रहा था, जिसके चलते उसे धमकियां मिल रही थीं। 2 नवंबर की रात को वह इसी मामले को सुलझाने गया था, लेकिन बात बनने की बजाय बिगड़ गई। आरोपियों ने शराब या किसी अन्य नशे में होने की संभावना से भी इंकार नहीं किया जा सकता। यह घटना दिखाती है कि कैसे आजकल के युवाओं में सहनशीलता की कमी और आक्रामकता बढ़ रही है, जहां वे छोटी-छोटी बातों पर किसी की जान लेने से भी नहीं हिचकिचाते। पुलिस अब इस मामले के हर एंगल से जांच कर रही है।​

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दोस्त को बचाने में खुद भी हुआ अधमरा

इस पूरे मामले में शिकायतकर्ता और चश्मदीद गवाह संतोष कुमार श्रीवास्तव की भूमिका बेहद अहम है। वह न केवल अपने दोस्त मनीष के साथ खड़ा रहा, बल्कि खुद भी जानलेवा हमले का शिकार हुआ। संतोष के बयान के आधार पर ही पुलिस ने FIR दर्ज की और आरोपियों की पहचान सुनिश्चित की। संतोष ने पुलिस को बताया कि कैसे आरोपियों ने उन पर अचानक पत्थरों से हमला कर दिया और वे खुद को और अपने दोस्त को बचाने में असमर्थ रहे। उनका बयान इस केस में आरोपियों को सजा दिलाने के लिए एक मजबूत सबूत साबित होगा। यह घटना दोस्ती की एक दुखद मिसाल बन गई है।​

वारदात में इस्तेमाल पत्थर और गाड़ियां जब्त

आरोपियों की गिरफ्तारी के बाद, पुलिस ने उनकी निशानदेही पर वारदात से जुड़े महत्वपूर्ण सबूत बरामद किए हैं। इनमें शामिल हैं:

  • हत्या में इस्तेमाल किया गया पत्थर: यह सबसे महत्वपूर्ण फोरेंसिक सबूत है।
  • स्कूटी (DL-8SCW-0136): जिसका इस्तेमाल आरोपी मौके पर पहुंचने के लिए कर सकते थे।
  • मोटरसाइकिल (DL-8SCW-4096): यह भी जांच के दायरे में है।
    इन बरामदगियों ने पुलिस के केस को और भी मजबूत बना दिया है। पुलिस अब इन वाहनों के मालिकों और उनकी आपराधिक संलिप्तता की भी जांच कर रही है।​

भारतीय न्याय संहिता (BNS) की सख्त धाराएं लगीं

पुलिस ने इस मामले में आरोपियों के खिलाफ बेहद सख्त कानूनी कार्रवाई की है। समयपुर बादली थाने में FIR संख्या 1048/2025 दर्ज की गई है। यह मामला भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 103(1) (गैर-इरादतन हत्या), 109(1) (हमला) और 3(5) (आपराधिक साजिश) के तहत दर्ज किया गया है। आरोपी मनीष उर्फ बाबू का पुराना आपराधिक रिकॉर्ड होने के कारण उसे जमानत मिलना लगभग नामुमकिन होगा। पुलिस अब इस मामले में जल्द से जल्द चार्जशीट दाखिल करने की तैयारी कर रही है ताकि हत्यारों को कड़ी से कड़ी सजा दिलाई जा सके।​

बढ़ते युवा अपराध और समाज के लिए चेतावनी

यह नृशंस हत्या एक बार फिर दिल्ली में बढ़ते युवा अपराध की भयावह तस्वीर पेश करती है। 22-23 साल के युवकों का इस तरह की बेरहमी से हत्या करना और उनमें से एक का आदतन अपराधी होना समाज के लिए एक गंभीर चेतावनी है। यह मामला दिखाता है कि कैसे मामूली विवाद भी खूनी अंत तक पहुंच रहे हैं। हालांकि, दिल्ली पुलिस ने 24 घंटे के भीतर इस मामले को सुलझाकर अपनी काबिलियत साबित की है, लेकिन समाज और परिवारों को भी अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी ताकि युवाओं को अपराध की इस अंधेरी दुनिया में जाने से रोका जा सके।

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