दिल्ली के मजनू का टिला इलाके में रह रहे पाकिस्तानी हिंदू शरणार्थियों पर अब बेघर होने का खतरा मंडराने लगा है। दिल्ली विकास प्राधिकरण (DDA) की ओर से राजधानी में अवैध निर्माणों पर चल रही लगातार कार्रवाई के बाद शरणार्थी समुदाय में भय का माहौल है। मजनू का टिला के यमुना खादर क्षेत्र में बसे ये शरणार्थी पहले ही बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदाओं की चपेट में रहने के लिए मजबूर हैं, अब उन्हें DDA के बुलडोजर एक्शन का डर भी सताने लगा है।

शरणार्थियों का कहना है कि उन्होंने यहां वर्षों से रहकर धीरे-धीरे मूलभूत सुविधाएं जुटाई हैं। बच्चों की शिक्षा और स्वास्थ्य संबंधी सुविधाएं अब उन्हें आसानी से उपलब्ध हो रही हैं। ऐसे में यदि उन्हें इस स्थान से हटाया गया, तो उनके लिए दोबारा जीवन बसाना बेहद कठिन होगा। यह कैंप यमुना किनारे स्थित है, जहां DDA के कई बड़े प्रोजेक्ट चल रहे हैं और बताया जा रहा है कि शरणार्थियों की यह बस्ती भी इन प्रोजेक्ट्स की जद में आ सकती है।
शरणार्थियों की मदद की गुहार
शरणार्थी कैंप में रहने वाले धर्मवीर बगड़ी ने बताया कि उन्हें यहां रहते हुए कई वर्षों का समय हो गया है। धीरे-धीरे उन्होंने अपने बच्चों को स्कूल भेजना शुरू किया और स्वास्थ्य सुविधाओं का लाभ उठाया। लेकिन अब डर है कि कहीं सरकार उन्हें अचानक बेघर न कर दे। उनका कहना है कि उन्होंने भारत में आकर चैन की सांस ली थी, लेकिन अब एक बार फिर विस्थापन की चिंता सताने लगी है।

भाजपा सरकार से उम्मीदें
शरणार्थियों ने भाजपा सरकार से अपील की है कि उन्हें अस्थायी नहीं बल्कि स्थायी पुनर्वास की सुविधा दी जाए। उनका कहना है कि सरकार यदि दिल्ली को स्मार्ट सिटी बना रही है तो उसे यहां रहने वाले शरणार्थियों की स्थिति पर भी ध्यान देना चाहिए। शरणार्थी समुदाय को मौजूदा सरकार से उम्मीद है कि उन्हें उचित जगह और सुरक्षा प्रदान की जाएगी।

DDA द्वारा दिल्ली के विभिन्न इलाकों में झुग्गी-झोपड़ियों और अवैध बस्तियों पर लगातार कार्रवाई की जा रही है। ऐसे में मजनू का टिला में रह रहे पाकिस्तानी हिंदू शरणार्थी भी इस बुलडोजर कार्रवाई के संभावित निशाने पर हैं, जिससे उनका भविष्य अनिश्चितता की स्थिति में पहुंच गया है।